समय की कमी
यूँ तो मैंने अपने जीवन में बहुत उपलब्धियाँ हासिल नहीं की हैं; लेकिन, हाँ, सीखा बहुत कुछ है. पूरा जीवन एक विद्यार्थी बना रहा हूँ. उसका एक मुख्य कारण है: समय-प्रबंधन, टाइम मैनेजमेंट. जितना भी समय मिला है, जहाँ भी, जैसे भी, उसका भरपूर उपयोग किया है.

आमतौर पर मैंने लोगों को समय के लिए रोते ही देखा है. वैसे तो उनके पास चाय, चिप्स, और गपशप के लिए भरपूर समय होता है; लेकिन, जब बात स्वयं पर काम करने की आती है, कुछ सीखने की आती है, तो "समय ही नहीं मिलता!" का मंत्र जपते रहते हैं.

कुछ ऐसे लोग भी हैं जो मानते हैं कि मैं इतना कुछ इसलिए सीख पाया क्योंकि मैंने शादी नहीं की. मैं उन्हें याद दिलाता हूँ कि ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने शादी के बाद, गृहस्थी की ज़िम्मेदारियाँ निभाते-निभाते भी बहुत कुछ सीखा, लोगों को सिखाया. इसके उल्टे, बहुत से अविवाहित होकर भी अंदर से ख़ाली ही हैं. उनके जीवन में एक जड़ता आ गई है.

कुछ का मानना है कि मैं नौकरी नहीं करता इसलिए रचनात्मक कार्यों के लिए समय निकाल लेता हूँ. प्रतिक्रिया में मैं यह कहता हूँ कि ऐसे कई लोग हैं जो नौकरी करते-करते भी एक सक्रिय एवं सार्थक जीवन जी रहे हैं; और कई सेवानिवृत्ति के बाद भी कुछ नया करने या सीखने के इक्छुक नहीं हैं. लोगों के पास मेरी बातों का कोई जवाब नहीं होता, लेकिन फिर भी अपने (कु)तर्क पर अड़े ही रहते हैं.

इस आत्म-छल में जीते-जीते वे महसूस नहीं कर पाते कि हर गुज़रते दिन के साथ वे अपनी ही क़ब्र खोद रहे हैं. जीवन बस मिटा जा रहा है बिना संगीत, बिना साहित्य, बिना नृत्य, बिना विज्ञान, बिना आत्म-खोज, बिना रचनात्मकता के.

अपने जीवन की समीक्षा कीजिए. क्या सच में, आपके पास समय की कमी है या समय-प्रबंधन की? मैंने कभी जीवन से अतिरिक्त समय की माँग नहीं की, कभी यह नहीं सोचा कि, "काश! मेरे पास समय होता." क्योंकि समय हमेशा से ही रहा है, सभी के पास; मात्रा का थोड़ा- बहुत अंतर हो सकता है.